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मैंने अपने मुफलिसी का झूठा जिक्र उनसे क्या किया...
तुम मेरे अफसानों में ही ठीक हो ! कलम से मेरी बेवफाई अब मुमकिन नही !
मेरे अफसानों के किरदार की तलाश न कर ए नादान !
हर नज्म उतारी नही जाती !
मुझसे एहतराम की उम्मीद   है अगर तो हटा तेरी रौनक..
अपने तजुर्बो पे इतना गुरूर न कीजिये साहब !
कोण म्हणत महागाई वाढली आहे ?
अपने तजुर्बो को इतनी अहेमियत न दिजीये साहब !
नाचीज हसरतों का पाकर न जाने कितने बादशाहो की .....
अपने दिल के जख्मों को हर किसी के पास मत खोल के बेठा करो !
हर हमदर्द को अच्छे से परख लेना मेरे नादाँन दोस्त !
बापाची कूस !
बूढ़े होते माँ-बाप को देखना बड़ा पीड़ादायक होता है !
क्या में मानव हु ? AM I Really Human Being ?
मेरे अफसानो से मेरी  शख्सियत पता कर लेने का !
मत जलाओं चराग मेरे  आँखों के सामने की मुझे  घने अँधेरे से बेहद  मोहब्बत है !
न लागे चित्त आता  ह्या मायेच्या खेळात !
गुलो के महक का चेहरा !
रिश्तो से मिलने वाली खुशियों में हम प्रकृती के एक नियम को  हमेशा भूल जाते है !
किसी को मेरे अफसाने दुःखभरे होने से शिकायत है !
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