अपने तजुर्बो को इतनी अहेमियत न दिजीये साहब !

अपने तजुर्बो को इतनी अहेमियत न दिजीये साहब !

 

गणेश अवस्थी शायरी

अपने तजुर्बो को इतनी अहेमियत न दिजीये साहब !

सच सच बताईये, क्या कल अहेमियत देकर सच माने हुवे तजुर्बे आज सच्चे है ?


Ganesh K Avasthi
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