मुझसे एहतराम की उम्मीद
है अगर तो हटा तेरी रौनक ए
शोहरत, दौलत, रूतबा और
अदा ए हुस्न !
क्यों की यहाँ हिसाब तो
सिर्फ तेरी फितरतों का होगा !
मुझसे एहतराम की उम्मीद
है अगर तो हटा तेरी रौनक ए
शोहरत, दौलत, रूतबा और
अदा ए हुस्न !
क्यों की यहाँ हिसाब तो
सिर्फ तेरी फितरतों का होगा !
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