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आम्हा घरी धन शब्दांचीच रत्ने । शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करू !
आम्हा घरी धन शब्दांचीच रत्ने । शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करू !
ग्रंथपरिचय योगवासिष्ठ महारामायणम् मुमुक्षु प्रकरण सर्ग १५-१९ सारांश दिवस १० १) वसिष्ठ : जिस पुरुष को सन्तोष प्राप्त…
Read moreग्रंथपरिचय योगवासिष्ठ महारामायणम् मुमुक्षु प्रकरण सर्ग १३-१४ सारांश दिवस ९ १) वसिष्ठ : जैसे चन्द्रमा के मण्डल में ता…
Read moreग्रंथपरिचय योगवासिष्ठ महारामायणम् मुमुक्षु प्रकरण सर्ग ८- ९ सारांश दिवस ८ १) वसिष्ठ : यह चित्त जो संसार के भोग की ओर …
Read moreग्रंथपरिचय योगवासिष्ठ महारामायणम् मुमुक्षु प्रकरण सर्ग ८-९ सारांश दिवस ७ १) वसिष्ठ : यह जो शब्द है कि "दैव हमार…
Read moreग्रंथपरिचय योगवासिष्ठ महारामायणम् मुमुक्षु प्रकरण सर्ग ६-७ सारांश दिवस ६ १) वसिष्ठ : इसका जो पूर्व का किया पुरुषार्थ…
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