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आम्हा घरी धन शब्दांचीच रत्ने । शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करू !
आम्हा घरी धन शब्दांचीच रत्ने । शब्दांचीच शस्त्रे यत्न करू !
मैंने अपने मुफलिसी का झूठा जिक्र उनसे क्या किया, उन्हें अपने ऐब ए बेवफाई का भी गुरुर हो गया ! 17-8-2025 Ganesh K Av…
Read moreतुम मेरे अफसानों में ही ठीक हो ! कलम से मेरी बेवफाई अब मुमकिन नही ! १४-८-२०२५ Ganesh K Avasthi Blog Admin
Read moreमेरे अफसानों के किरदार की तलाश न कर नादान ! तलाश मुझतक ही आकर रुकेगी ! फिर तू टूटेगा, बिखरेगा और एक नज्म बन जायेगा !…
Read moreहर नज्म उतारी नही जाती ! कुछ अफसानों को अश्कों के दरिया में डुबोकर पिया जाता है हर धडकन के साथ ! 14-7-2025 Ganesh …
Read moreमुझसे एहतराम की उम्मीद है अगर तो हटा तेरी रौनक ए शोहरत, दौलत, रूतबा और अदा ए हुस्न ! क्यों की यहाँ हिसाब तो सिर्फ…
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