आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?
आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?
साफ दिख रही है उसकी कोशिशे अपने साहील की हदों को पार कर जाने की !
न कोई ज्वार है न कोई कुदरत का कहर !
फिर क्यों परेशांन है आज वो ?
जरुर मिलन बिना ही सुखी हुवी नदी की याद में तडप उठा होगा !
0 Comments