आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?

आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?

 आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?




परेशां शायरी


आज क्यों समंदर अपने पुरे उफान पर है ?


साफ दिख रही है उसकी कोशिशे अपने साहील की हदों को पार कर जाने की !


न कोई ज्वार है न कोई कुदरत का कहर !


फिर क्यों परेशांन है आज वो ?


जरुर मिलन बिना ही सुखी हुवी नदी की याद में तडप उठा होगा ! 


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