यहाँ हर शख्स वाकिफ है अपने गुनाह और फितरतोसे साहब !

यहाँ हर शख्स वाकिफ है अपने गुनाह और फितरतोसे साहब !

गुनाह शायरी

यहाँ हर शख्स वाकिफ है अपने 

गुनाह और फितरतोसे साहब !


ईश्वर के सामने झुका 

हर सिर सिर्फ इबादत नहीं, 

अपने जुर्म का कबूलनामा भी होता है  ! 

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