एक लंबे अरसे से रूठी हुवी कलम फिर से खिल उठी है एक और अफसाना लिखने के लिए !

एक लंबे अरसे से रूठी हुवी कलम फिर से खिल उठी है एक और अफसाना लिखने के लिए !


कलम शायरी



 एक  लंबे अरसे से रूठी हुवी कलम  

फिर से खिल उठी है एक और अफसाना लिखने के लिए !


फिरसे बेफिक्र और बेपरवाह होकर महक उठी है नादाँन !


टूटकर - बिखरकर - रूठ जाने के लिए !





#Ganesh_Avasthi
#nirbhid
#सुकून 
#गणेश_अवस्थी 

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