ऐसा नहीं है की में जिंदगी से लड़ नही सकता, बस अब लड़ने का मन नही करता ! लडकर जीत भी सकता हु, बस अब जितने का मन नहीं करता ! ए जिंदगी मुझे कुबूल है मेरी हार और तेरी जीत, मुझे अपने हार का मातम मनाने का मन नही करता ! बता ए जिंदगी क्या सजा तय कर रखी है मेरे लिये, अब मुझे तेरे किसी सजा पे अफ़सोस करने का मन नहीं करता ! कर ले मुझे भी शामिल अपने जित की जश्न में ए जिंदगी, मुझे हारकर भी अपनी मुस्कुराहट छोड़ने का मन नहीं करता !
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