एक पिता खंडहर बन जाता है बच्चो को महलो की खुशिया देते देते !

एक पिता खंडहर बन जाता है बच्चो को महलो की खुशिया देते देते !

 

माँ-पिता शायरी

एक पिता खंडहर बन जाता है 
बच्चो को महलो की 
खुशिया देते देते !
और माँ आधारशिला बन जाती है 

उसी खंडहर की 
मुस्कुराकर,
दर्द को छुपाकर, 
खुद को मिटाकर ! 

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