प्रकृति ही सिर्फ एक ऐसा न्यायालय है जहाँ न्याय की परिभाषा को परिपूर्ण अर्थ मिलता है !

प्रकृति ही सिर्फ एक ऐसा न्यायालय है जहाँ न्याय की परिभाषा को परिपूर्ण अर्थ मिलता है !

प्रकृति शायरी

 प्रकृति ही सिर्फ एक ऐसा न्यायालय है 
जहाँ न्याय की परिभाषा को परिपूर्ण अर्थ मिलता है !
वहा पक्षपात की शून्य गुंजाईश है !
न कोई गवाह ख़रीदा नहीं जा सकता,
न कोई सबूत मिटाया जा सकता ! 
जात - नस्ल - हैसियत - रूतबा - शोहरत के 
सारे गुरूरो को रोंदते हुवे  सिद्ध करती है 
वह अपनी मालकियत 
यत्र -तत्र - सर्वत्र !

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