क्या कलमसे निकली हुवी पंक्तिया मेरी है ?

क्या कलमसे निकली हुवी पंक्तिया मेरी है ?

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मालकियत शायरी


कलम से निकली हुवी पंक्तियोपे मेरी मालकियत कैसे

 जाहीर कर दू ?


ऐसा कहने को मेरा जमीर राजी नही !


हा, कलम मैंने जरुर पकड़ी है, कागजपे भी जरुर मेंरे

 हाथ ही उतार रहे है !


लेकिन ये शब्द आ रहे है किसी अज्ञात गहराईसे ! वहां

 छुपा है वो लेखक,


 जिससे में पूर्णता हु अनभीज्ञ !


 में जाहीर कर दूंगा मेरी मालकियत उन पंक्तियोंपे उस

 अज्ञात लेखककी मुलाकात के बाद !


शायद उस अज्ञात लेखक की मुलाकात के बाद

 मालकियत जाहीर करने की जरूरत ही न रहे !


क्योंकि मैंने कभी देखा नहीं किसी फुल को सुगंध पे मालकियत जताते हुवे ! 

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