बाबा युद्ध क्यों हो रहा है ?
बच्चे ने मुझसे पूछा !
बाबा, युद्ध क्यो हो रहा है ?
किसका हो रहा है ?
मेरा दिल मुझे आगाह कर रहा था कि मत बताओ इस नन्ही जान को की ये
इंसानो की रक्तबीजरूपी ऐसी प्यास है जो एक दूसरे का खून मांगती है
लेकिन मिटती कभी नही !
जितना खून पीती है उतनी ही बढ़ते जाती है !
और ये सिर्फ खून पीने तक ही सीमित नही रहती !
पशुता को पीछे छोड़ इस खून के प्यास को जीत का जश्न भी चाहिए !
पशुभी शिकार का जश्न नही मनाते !
दिल मे आये सारे खयाल बच्चे के मासुम आँखो की चमक देखकर शांत हो गए !
वह आँखे जैसे मुझे जता रही थी अपनी जिम्मेदारी, एक संवेदनशील मनुष्य
बनाने की जो युद्ध को जश्न की वजह न माने !
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